शनि के कारण ही पार्वती पुत्र भगवान गणेश का सिर छेदन हुआ, भगवान राम को वनवास हुआ एवं लंकापति रावण का संहार हुआ और पांडवों का वनवास हुआ |
शनि के कोप के कारण ही विक्रमादित्य जैसे राजा को कई कष्ट का सामना करना पड़ा तथा त्रेता युग में राजा हरिश्चंद्र को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी |
राजा नल और उनकी रानी दमयंती को जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना शनि की कुदृष्टि के कारण करना पड़ा |
जेष्ठ कृष्णा अमावस्या को शनि का जन्म होने के कारण इस तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है | इस दिन शनि के निमित्त जो भी पूजा जप तप आदि उपाय किए जाते हैं | उनसे शनि देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उसके दुख तथा कष्ट में कमी करते हुए | उसे एक श्रेष्ठ जीवन यापन करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं |