Magh Maas Mahatmya – Importance of Magh Month in Hindi

Here is the Magh Maas Mahatmya or importance of Magh month in Hindi. माघ मॉस जनवरी २० – १८ फरवरी

माघ मॉस की मुख्य पोरानिक तिथिया |

१ फरवरी :- ( कृष्णा चतुर्दशी ) – माघ मॉस की कृष्णा चतुर्दशी को की हुई शिवजी की पूजा संपूर्ण अभिष्ठ फल देने

वाली है | यह तिथि मनुष्य की आयु बढाती , मृत्यु के कष्ट को दूर हटाती और संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति कराती है | शिव पुराण ( विश्वेश्वर संहिता ) |

६ फरवरी :- ( शुक्ला तृतिया) – माघ मॉस की तृतिया अन्य मासों की तृतिया से अधिक उत्तम है | माघ मॉस की तृतिया इस्त्रीयो को विशेष फल देती है |

माघ मॉस की तृतिया को गुड एवं लवन का दान इस्त्री पुरुषो के लिए विशेष उत्तम है | भगवान शंकर की प्रसन्नता के लिए माघ मॉस की तृतिया को मोदक और जल का दान करे | भविष्य पुराण ( ब्रह्म पर्व ) |

७ फरवरी :- ( शुक्ला चतुर्थी) – माघ मॉस की शुक्ला चतुर्थी को शांता कहते है | यह शांता तिथि नित्य शांति प्रदान करने के कारन शांता कहलाती है | इस दिन किये हुए स्नान दान अदि सत्कर्म गणेशजीकी कृपा से १००० गुना फलदायक हो जाता है | इस शांता नामक चतुर्थी तिथि को उपवास कर गणेश जी का पूजन तथा हवन करे और लावन , गुड और शक ब्राह्मणों को दान में दे | विशेष कर के स्त्रीया अपने ससुर अदि पूज्य जानो का पूजन करे एवं उन्हें भोजन कराये | इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है सभी विघ्न दूर होते है और गणेशजी की कृपा प्राप्त होती है | भविष्य पुराण ( ब्रह्म पर्व ) |

१८ फरवरी :- पूर्णिमा ( महा पूर्णिमा मघा नक्षत्र से युक्त ) :- माघ मॉस की पूर्णिमा स्नान दान अदि के लिए अति श्रेष्ठ है | ब्राह्मणों को दान देने का तो फल है ही परन्तु बहन , भांजे , बुआ आदिको , तथा दरिद्री बन्धुओको को भी दान देने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है | मित्र कुलीन व्यक्ति विपति से पीड़ित व्यक्ति , दरिद्री और आशा से ए हुए अतिथि को दान देने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है | संक्षेप में

इस तिथि को जल , अन्न , वस्त्र , स्वर्ण पत्र , छत्री अदि दान देने से इन्द्रलोक की प्राप्ति होती है | भविष्य पुराण  ( अध्याय १००  )

श्री कृष्ण युधिष्ठिर से कहते है :- माघ मॉस की पूर्णिमा के दिन कलियुग का प्रारंभ हुआ था इस लिए इसे युग तिथि भी कहते है |इस तिथि को उपवास , ताप , दान , जप , होम , अदि करने से कोटि गुना पुण्य प्राप्त होता है | माघ मॉस की पूर्णिमा को गायत्री सहित ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए | राजन इस प्रकार दान करने वाले को तीनो लोकोमे किसीभी वास्तु का आभाव नहीं होता | इसयुगादी तिथि में किया जाने वाला दान अक्षय होता है | निर्धन हो तो थोडा थोडा ही दान करे उसका भी अनंत पुण्य प्राप्त होता है |

वित् के अनुसार शैया , असं , जूता , छत्री , वस्त्र , सुवर्ण भोजन अदि ब्राह्मणों को देने चाहिए | इस तिथि में यथा शक्ति ब्राह्मणों को भोजन भी करवाए | अनंतर अत्यंत प्रसन्न मन से बंधू , बंधवो सहित स्वयं भी भोजन करे | इस तिथि में दान पूजन अदि करनेसे कायिक , वाचिक और मानसिक सभी प्रकार के पाप नष्ट  हो जाते है और डाटा अक्षय स्वर्ग प्राप्त करता है | भविष्य पुराण  ( अध्याय १०१ )

नारदजी युधिष्ठिर से कहते है :- धनि द्विज को चाहिए माघ की माघ नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा के समय श्राद्ध करने योग्य एवं श्रेष्ठ है | यह समय श्राद्ध के लिए ही नहीं अपितु सभी पुण्य कर्मो के लिए उपयोगी है | यह कल्याण की साधना के उपयुक्त और शुभ कीअभिवृद्धि करने वाली है | इस अवसर पर पूरी शक्ति लगाकर शुभ कर्म करना चाहिए | इसी में जीवन की सफलता है | इस शुभ संयोग में जो दान , जप , होम , व्रत एवं ब्राह्मणों एवं देवताओ को अथवा पितरो को समर्पित किया जाता है वह अक्षय हो जाता है | श्रीमद भागवत  महापुराण (चोदहवा अध्याय – सप्तम स्कन्द )

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