पुत्र प्राप्ति के योग, इन योगो के कारण जन्म लेता है बेटा | Putra Prapti Yog

sri krishna

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ग्रहों की स्थिति और चाल हम सभी के जीवन में अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इन्हीं ग्रहो की दशा या स्थिति के कारण ही हम अपनेे जीवन में शुभअशुभ फल प्राप्त करते है। यदि ग्रहों की स्थिति शुभ फल प्रदान करने वाली होती है तो हमारे सारे कार्य सरलता से होने लगते है और हम वो सभी वस्तुएॅ आसानी से प्राप्त कर लेते है जिनकी हमें इच्छा होती है विना किसी वाधा के। इसके विपरीत, यदि हमारे ग्रहों की चाल और स्थिति हमारे पक्ष में नहीं होती तो हमारे सारे उपक्रम व्यर्थ हो जाते है।

संतान मातापिता के लिए परमात्मा का दिया हुआ वह बहुमूल्य उपहार है जिसका महत्व केवल संतान के मातापिता ही समझते सकते है। संतान के होने से जो आनन्द का अनुभव होता है उस आनन्द की कल्पना कोई दूसरा नहीं कर सकता है और इसी तरह जिस दम्पत्ति के कोई संतान नही होती उसका दुख भी उसके अलावा कोई और नहीं समझ सकता।

पुत्र और पुत्री दोनो ही परमात्मा के अनमोल उपहार है। आपको ऐसे अनेक दम्पत्ति मिल जायेगे जिनके या तो सभी पुत्रियां होती हैं अथवा सभी पुत्र होते हैं। जिनके पुत्र होते है उनको एक पुत्री की चाह होती है और जिनके पुत्रियाॅ होती उनको पुत्र की चाह होती है ताकि वह पुत्र और पुत्री दोनो के होने के आनन्द को अनुभव कर सके।

हमारी कुंडली में ग्रहनक्षत्रो की स्थिति से संतान सुख के बारे में भी जाना जा सकता है। इन्हीं ग्रहों की दशा देख कर विद्वान ज्योतिषी हमें संतान सुख के अतिरिक्त हमारी संतानों में क्या गुण और कौनसे अवगुण होगें यह भी बता सकते है। बच्चे के जन्म का समय तथा तिथि से ग्रहों तथा नक्षत्रों की दशा, स्थिति, तथा चाल आदि की गणना की जाती है जिसके अनुशार कुण्डली बनाई जाती है जिसमें उस बालक या बालिका के सम्बन्ध समस्त जानकारी दी जाती है।

पुत्र योग

ग्रहो तथा नक्षत्रों की दशा स्थिति की गणनाकर, विद्वान ज्योतिषी संतान सुख अथवा पुत्र या पुत्री जन्म के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते है। आइये जानते हैं कि किन योगो के कारण बेटा जन्म लेता है। ज्योतिष विज्ञान में सूर्य, मंगल, तथा गुरू ग्रहों को पुत्र ग्रह बताये तथा चन्द्रमा को पु.त्री ग्रह बताया गया है। इसके अलावा शनि, शुक्र, तथा बुध की कुंडली में सशक्त स्थिति भी पुत्र या पुत्री योग बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप हमको पु.त्र या पुत्री की प्राप्ति होती है।

पुत्र प्राप्ति के योग को जानने के लिए पुरूष को अपनी कुंडली सूर्य, सूर्य स्पष्ट, शुक्र, शुक्र स्पष्ट, गुरू, तथा गुरू स्पष्ट ग्रहों की राशि, कला, अंश, विकला का योग करना पड़ता है और यदि इन सब के योग में नवांश तथा राशि विषम आती है तो ये समझा जाता है कि पुत्र योग है।

इसके अलावा कर्क राशि के पुरूषो की कुंडली मे शनि पंचव हो तो पुत्र योग बनता है इसी तरह यदि यही ग्रह स्थिति महिलाओं की कुंडली में हो तो पुत्री योग बनता है। इसके अतिरिक्त पाप ग्रहो की स्थिति तथा संयोग भी पुत्र योग बनाती है। यदि पाप ग्रह पंचमेश्वर हो और यह अन्य पाप ग्रहो के साथ पंचम हो तो भी पुत्र योग बनता है। इस दशा में एक से अधिक पुत्र होने का योग बनता है।

यदि किसी की कुण्डली में लग्नेश पंचम हैं और इस पर चन्द्रमा अपनी पूर्ण दृष्टि डालता है तो माना जाता है कि योग पुत्र प्रदान करने वाला होता है। इसके अतिरिक्त यदि गोचर के कारण लग्नेश और पंचमेश मेल करते है और यह अपनी स्वराशि या उच्च राशि में स्थित हों, तब भी ये योग पुत्र प्रदान करने वाला कहलाता है।

शनि और बुद्ध ग्रहो की स्थिति भी पुत्र योग बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है यदि बुद्ध और शनि ग्रह विषम राशि में स्थित हों तो और इन का योग भी कारक होे तो ये पुत्र प्रदान करने वाला योग बनता है यदि इन ग्रहों की स्थिति सम राशि में होती है पुत्री का जन्म होता है।

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61 Comments

  1. Bharti jha says:

    Mera d.o.b 12.01
    22, h
    Mere husband ka d.o.b22.12.1984h kya hame Putra hoga

  2. Shweta Jaiswal says:

    Mera d.o.b. 25 April 1998 hai aur mere husband ka d.o.b. 21 April 1990 hai kya hume beta hoga?

  3. Bhakti Chawla says:

    Boy or girl for my sister?

  4. Swati says:

    Sir my dob is 16.3.88 at 6.10 pm in Amritsar nd my husband date is 27.2.85 at 1.05 pm in alwar. Meri do betiyan h kya hume bete ka yog h ya nhi .plz reply