जनवरी २०१० माघ मॉस
सोमवार ११ जनवरी :- ( सर्वार्थ सिद्धि योग समय 7 :17 AM से 20 :20 PM )नारदजी युधिशठिर से बोले :-
द्वादशी तिथि जो अनुराधा नक्षत्र ( अनुराधा नक्षत्र रात्रि ८:४४ मं तक -दिल्ली ) से युक्त हो उसको पितरो का श्राद्ध करने योग्य एवं श्रेष्ठ है ये समय श्राद्ध के लिए ही नहीं अपितु सभी पुण्य कर्मो के लिए उपयोगी है
ये कल्याण की साधना के उक्युक्त और शुभ की अभिवृद्धि करने वाला है | इस अवसर पर अपनी पूरी शक्ति लगा कर शुभ कर्म करने चाहिए इसी में जीवन की सफलता है | इस शुभ अवसर पर जो स्नान , जप , होम , व्रत तथा देव एवं ब्राह्मणों की पूजा की जाती है तथा जो कुछ देवता , पितरो एवं मनुष्यों को समर्पित किया जाता है उसका फल अक्षय होता है. ( श्रीमद भगवत महापुराण सप्तम स्कन्द )
वीरवार १४ जनवरी :- सूतजी ने कहा :- माघ मॉस कृष्ण चतुर्दशी को की हुई शिव जी की पूजा संपूर्ण अभिष्ठ फल देने वाली है|इस दिन की हुई शिव पूजा मनुष्यों की आयु बढाती , मृत्यु के कष्ट को दूर हटाती और समस्त सिद्धियों की प्राप्ति कराती है | ( शिव पुरान –विश्वेश्वर संहिता )
वेदव्यास जी ने वैशम्पायन जी के पुच्छने पर कहा :- माघ मॉस की मकर सक्रांति में सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए इससे दस हज़ार गों दान का फल प्राप्त होता है |उस समय किया हुआ तर्पण , दान और देव पूजन अक्षय होता है |( पद्मा पुरान – सृष्टि खंड )
शुक्रवार १५ जनवरी :– माघ मॉस के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सूर्योदय के पहले जो जल और तिल से पितरो का तर्पण करता है वेह स्वर्ग में अक्षय सुख भोगता है | ब्राह्मणों को भोजन के योग्य उत्तम अन्न देने से भी अक्षय स्वर्ग की प्राप्ति होती है | जो उत्तम ब्राह्मण को अनाज , वस्त्र और घर अदि दान में देता है उसे लक्ष्मी कभी नहीं छोडती |
( पद्मा पुरान – सृष्टि खंड )
सोमवार १८ जनवरी :- माघ मॉस के शुक्ल पक्ष की तृतीय को मन्वंतर